Ch. 1- Indian Civilization and Culture [Mahatama Gandhi]
Mohan Das Karamchandra Gandhi (1869-1948), popularly known as Bapu or the Father of Nation, was more a spiritual than a politician. He successfully used truth and non- violence as the chief weapons against the British rule in India and helped India gain independence from 1915 till 1948, he completely dominated Indian politics. He died at the hand of a fanatic on 30 Jan1948. His autobiography, My Experience with Truths, and the numerous articles that he wrote for Young India and speeches that he delivered on different occasions, reveal him not only as an original thinker but also as a great master of chaste, idiomatic English. In the following extract “Indian Civilization and Culture”, Gandhi ji talks about the sound foundation of Indian civilization which has the tendency to privilege materiality can not match the Indian civilization that elevates the moral beings.
About author in Hindi
- मोहनदास करमचन्द्र गाँधी का जन्म 2 Oct. 1869 – 30 Jan. 1948 में हुआ |
- वे भारत और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता थे |
- वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रितकार के अग्रिम नेता थे |
- उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गाँधी के नाम से जानती है (संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है)
- गाँधी को महात्मा नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्द जीवनराम कालिदास ने संबोधित किया था |
- उन्हें बापू (गुजरात में बापू यांनी पिता) के नामा से भी याद किया जाता है |
- सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगुर रेसियो से गाँधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर संबोधित करते हुए आजद हिन्द फौज के सैनिक के लिए उनकी आशीर्वाद और शुभकामनाएँ मांगी थी |
- प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर को उनका जन्मदिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में और पूरी विश्व में अंतराष्टीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है |
- गाँधी जी को बापू,( सरोजनी नायडू के द्वारा) राष्ट्रपिता,(सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा) मंगल बाबा,(खान अब्दुल गफ्फार खां के द्वारा) देशद्रोही फकीर(विस्टन चर्चिल के द्वारा ) , अर्घनंगा फकीर(फ्रेंक मोरेस के द्वारा) , महात्मा (रविन्द्र नाथ टैगोर के द्वारा ), भारतीय राजनीति का बच्चा (एनीबीसेंट के द्वारा) ये सभी उपाधियाँ दी गयी थी |
- सबसे पहले गाँधी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया |
- 1915 में उनकी भारत वापसी हुई |
- उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया |
- गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय पर लगाये गए नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह किया
- उसके बाद 1942 में अंग्रेज भारत छोड़ों आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की |
- दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक जेल में भी रहना पड़ा |
- गाँधी जी सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इसका पालन करने के लिए भी कहा |
- उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोषक धोती और सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे |
- उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिए लम्बे – लम्बे उपवास रखे |
- गाँधी जी ने अंग्रेज के खिलाफ पहला सत्याग्रह बिहार के चम्पारण से आरम्भ किया है जो 1917 में गाँधी के नेतृत्व में चम्पारण जिला से आरम्भ हुआ था |
(Paragraph-1)
I believe that the civilization India has evolved is not to be beaten in the world. मैं मानता हूँ कि भारत में विकसित सभ्यता को दुनिया में चुनौती नहीं दिया जा सकता Nothing can equal the seeds sown by our ancestors. हमारे पूर्वजों द्वारा बोये गए बीज के बराबर कूछ भी नहीं हो सकता है Rome went, Greece shared the same fate, the might of the Pharaohs was broken, रोम दुनिया से मिट गया, ग्रीस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ; फिरौन के बल टूट गया Japan has become westernized; of China nothing can be said; जापान पश्चिमी देशों जैसा बन गया; चीन का कुछ भी नहीं कहा जा सकता but India is still, somehow or other, sound at the foundation. लेकिन भारत अभी भी, किसी न किसी तरह अपनी नीव पर जमा हुआ है | The people of Europe learn their lessons from the writings of the men of Greece or Rome, यूरोप के लोग ग्रीस या रोम के लेखन से सबक सीखा which exit no longer in their former glory.जो अब अपने पूर्व महिमा में मौजूद नहीं हैं In trying to learn from them, the European imagine that they will avoid the mistakes of Greece and Rome. उनसे सीखने की कोशिश में, यूरोपीय मान बैठे कि वे ग्रीस और रोम की गलती से बच जाएंगें Such is their pitiable condition. ऐसा उनकी दयनीय स्थिति है |
(Paragraph-2)
In the midst of all this, India remains immovable and that is her glory. इन सब के बीच भारत अचल रहा और यही उसकी महिमा है | It is a charge against India that her people are so uncivilized, ignorant and stolid, that it is not possible to induce them to adopt any charges. यह भारत के खिलाफ आरोप है कि उसके लोग इतने अशिक्षित , अज्ञानी और बेवकूफ है, कि उन्हें किसी भी परिवर्तन को अपनाने के लिए प्रेरित करना संभव नहीं है It is a charge really against our merit. What we have tested and found true on the evil of experience, वास्तव में ये हमारे योग्यता के खिलाफ आरोप है जिसे हमने अपने अनुभव की निहाई पर परखा और सही पाया we dare not change. Many thrust their advice upon India and she remains steady. This is her beauty; हमें बदलने की साहस न करे कइओ ने भारत पर अपनी सलाह थोपी पर हम स्थित रहे | यही हमारी सुन्दरता है it is the sheet anchor of our hope. यही हमारे उम्मीद की आखरी किरण है |
(Paragraph-3)
Civilization is that mode of conduct which points out to man the path of duty. सभ्यता वह आचरण है जो इंसान को कर्तब्य का पथ बताती है | Performance of duty and observation of marality are convertible terms. कर्तब्यों का प्रदर्शन और नैतिकता का पालन परिवर्तनीय नियम हैं To observe morality is to attain mastery over our minds and passions. नैतिकता का पालन करना हमारे मन और हमारे जुनून पर स्वामित प्राप्त करना है| So doing ,we know ourselves. ऐसा करने से, हम खुद को जानते है The Gujarati equivalent for civilization means “ good conduct”. गुजरती में सभ्य का मतलब होता है “अच्छे आचरण”
(Paragraph-4)
if this definition be correct, then India ,as so many writers have shown, has nothing to learn from anybody else, and this is as it should be. यदि यह परिभाषा सही है, तो जैसा की सारे लेखकों से पता चलता है, किसी और से सीखने की आवश्यकता नहीं और ये वैसा ही है जैसा होना चाहिए
(Paragraph-5)
We notice that the mind is a restless bird, the more it gets the more it wants, and still remains unsatisfied. हम देखते हैं कि मन एक बेचैन पक्षी है जितना अधिक मिलता है उतना अधिक चाहता है, और तब भी असतुष्ट रहता है |The more we indulge in our passion, the more unbridled they become. जितना अधिक हम अपनी भावनाओ में लिप्त होंगें उतना ही ये बेलगाम होगा Our ancestors, therefore, set a limit to our indulgence. इसलिए हमारे पूर्वजों ने हमारे भोग- विलास की सीमा निर्धारित की हैं | They saw that happiness was largely a mental condition. उन्होनें देखा कि ख़ुशी काफी हद तक एक मानसिक स्थिति है |
(Paragraph-6)
A man is not necessarily happy because he is rich, or unhappy because he is poor. ये जरुरी नहीं कि एक आदमी खुश है क्योकि वह आमिर है या दुखी है क्योकि वह गरीब है The rich are often seen to be unhappy, the poor to be happy. Millions will always remain poor. कई बार देखा गया है कि आमीर दुखी होता है और गरीब सुखी | लाखों हमेशा गरीब रहेंगे Observing all this, our ancestors dissuaded us from luxuries and pleasures. यह सब देखकर, हमारे पूर्वजों ने हमें विलासिता और आनंद से रोका |We have managed with the same kind of plough as existed thousands of years ago.हजारों साल से हम उसी तरह की हल के साथ काम कर चुके हैं जो सालो पुराना है We have retained the same kind of cottage that we had in former times हम उसी तरह की कुटीया (झोपडी) में बरक़रार है जो हमारे पास पुराने ज़माने से थी | and our indigenous education remains the same as before. और हमारी स्वदेशी शिक्षा पहले की तरह ही है We have had no system of life- corroding competition. हमारे पास जीवन- भ्रष्ट प्रतियोगिता की कोई प्रणाली नहीं है Each followed his own occupation or trade and charged a regular wage. सब अपने अपने व्यवसाय – व्यापार में लगे हैं और एक निर्धारित मजदूरी लेते हैं It was not that we did not know how to invent machinery , ऐसा नहीं था कि हमें मशीनरी का आविष्कार करने का तरीका पता नहीं था but our forefathers knew that, if we set our hearts after such things, we would become slaves and lose our moral fibre. बल्कि हमारे पूर्वजों को पता था कि अगर हम ऐसी चीजों में अपना दिल लगाते हैं, तो हम उस चीजों के दास बन जएंगें और अपनी चरित्र खो देंगे They, therefore, after due deliberation decided that we should only do what we could with our hands and feet. They saw our real happiness and health consisted in a proper use of our hands and feet. वे इसलिए , गहन विचार- विमर्श के बाद यह निणर्य लिया कि हमें केवल वही करना चाहिए जो अपने हाथो और पैरो के बल पे कर सके , उन्होंने देखा कि हमारी वास्तविक ख़ुशी और स्वास्थय हमारे हाथों और पैरो के उचित उपयोग में हैं |
(Paragraph-7)
They further reasoned that large cities were a snare and a useless encumbrance and that people would not be happy in them, उन्होंने आगे ये तर्क दिया की बड़े शहर प्रलोभन का एक जाल हैं तथा बेकार की एक बोझ है और जिस में लोग खुश नहीं रह पाएंगें that there would be ganges of thieves and robbers, prostitution and vice flourishing in them and that poor men would be robbed by rich men. कि चोरों और लुटेरों का गिरोह होगा, वेश्यावृति और बुराईया इन में फले- फूलेगी और गरीब लोगों को आमिर द्वारा लुटा जायेगा | They were, therefore, satisfied with small villages. इसलिए वे छोटे से गावों में संतुष्ट थें |
(Paragraph-8)
They saw that kings and their swords were inferior to the sword of ethics, उन्होंने देखा कि राजओं और उनकी तलवार नैतिकता की तलवार के आगे बेकार हैं and they, therefore, held the sovereigns of the earth to be inferior to the Rishis and the Fakirs. और इसलिए, उन्होंने धरती के राजाओ को ऋषियों और फकीरों से नीच समझा A nation, with a constitution like this, is fitter to teach others than to learn from others. एक ऐसी रास्ट्रीय संबिधान जो दुसरों से सीखने के बजाय सिखाने में सक्षम हो This nation had courts, lawyers and doctors, but they were all within bounds. इस देश में अदालत, वकील और डाँक्टर थे, लेकिन वे सभी सीमा के भीतर थे | Everybody knew that these professions were not particularly superior.हर कोई जनता था कि ये व्यवसाय विशेष रूप से श्रेष्ठ नहीं थें Moreover, these Vakils and Vaids did not rob people, they were considered people’s dependents, not their masters. इसके अलावा, ये वकील और डाँक्टर लोगों को लुटते नही थे; वे लोगों पे आश्रित समझे जाते थे, न कि उनके स्वामी Justice was tolerably fair. The ordinary rule was to avoid courts. There were no touts to lure people into them. न्यायसंगत निष्पक्ष था | साधारण नियम अदालतों से बचने के लिए था | इसमें लोगों को लुभाने के कोई व्यावस्था न थी This evil too was noticeable only in and around capitals. यह बुराई भी, सिर्फ राजधानी और उसके आस- पास देखी जा सकती थी The common people lived independtly and followed their agricultural occupation. They enjoyed true Home Rule. आम लोग स्वतंत्र रूप से रहते और अपना कृषि व्यवसाय किया करते,वो घर की जिंदगी का सच्चा आनंद लिया करते थे |
(Paragraph-9)
The Indian civilization, as described by me, has been so described by its votaries. भारतीय सभ्यता, जैसा की मेरे द्वारा वर्णित है, इसके तरफदार (शुभचिंतक ) द्वारा भी इसी तरह वर्णित किया गया है | In no past of world, and under no civilization, have all men attained perfection. दुनिया के किसी भी हिस्से में और कोई भी सभ्यता में, वहां के सभी लोग सिद्धि को प्राप्त नही कर पाते हैं The tendency of Indian civilization is to elevate the moral being, that of the western civilization is to propogate immorality. भारतीय सभ्यता की प्रवृति नैतिक स्तर को बढ़ाना है जब की पश्चिमी सभ्यता का अनैतिक्त का प्रचार- प्रसार करना है The latter is godless; the former is based on a belief in God.बाद वाला ईश्वरहीन है, पूर्व वाला ईश्वर में विश्वास रखने वाला है So understanding and so believing, बहुत ही समझने लायक और बहुत ही विश्वास करने योग्य it behoves every lover of India to cling to the old Indian civization even as a child clings to the mother’s breast. यह भारत से प्यार करने वालों का कर्तव्य (जिम्मेदारी ) है की भारत की पुरानी सभ्यता से ऐसे चिपक जाए जैसे बच्चा अपनी माँ के छाती से
(Paragraph-10)
I am no hater of the West. I am thankful to the West for many a thing I have learnt from Western literature.मैं पश्चिमियों का निंदक नही हूँ | मैं पश्चिमियों का आभारी हूँ की उनकी साहित्य से बहुत कुछ सीखा But I am thankful to modern civilization for teaching me that if I want India to rise to its fullest height, लेकिन मैं आधुनिक सभ्यता का आभारी हूँ ये सीखने के लिए कि अगर मैं भारत को शिखर तक पहुँचाना चाहता हूँ तो I must tell my countrymen frankly that, मुझे अपने देशवाशियों से साफ तौर पर कह देना चाहिए कि after years and years of experience of modern civilization, I have learnt one lesson from it and that is we must shun it all cost. आधुनिक सभ्यता के बर्षो के अनुभव के बाद, मैनें इससे एक सबक सीखा और ये है कि इसे किसी भी कीमतों पर दूर रहना चाहिए
(Paragraph-11)
What is the modern civilization? आधुनिक सभ्यता क्या है ? यह संसाधन की पूजा है, It is the worship of material, it is the worship of brute in us, यह हमारे अन्दर के भावशून्यता की पूजा है it is unadulterated materialism, यह पूर्णत: भौतिकवाद है and modern civilization is nothing if it does not think at every step of the triumph of material civilization. और आधुनिक सभ्यता कुछ भी नहीं है अगर वह भौतिक सभ्यता की जीत के हर चरण के बारे में नही सोचती हैं |
(Paragraph-12)
It is perhaps unnecessary, if not useless, to weigh the merits of the two civilizations. यह शायद अनावश्यक है, अगर नहीं तो बेकार है, दोनों सभ्यतओं के गुणो की तुलना करना It is likely that the West has evolved a civilization suited to its climate and surroundings, यह प्रतीत होता है कि पश्चिम ने ऐसी सभ्यता विकसित की है जो उसके जलवायु और परिवेश के अनुकूल है and similarly, we we have a civilization suited to our conditions, और ठीक उसी तरह, हमारी सभ्यता है जो हमारी परिस्थितियों के अनुकूल है and both are good in their own respective spheres. और दोनों ही अपने क्षेत्रों में अच्छे हैं |
(Paragraph-13)
The distinguishing characteristic of modern civilization is an indefinite multiplicity of human wants. आधुनिक सभ्यता में विशेष अंतर मानवीय इच्छाओं की एक अनिश्चित बहुगुणता है | The characteristic of ancient civilization is an imperative restriction upon, and a strict regulating of, these wants. प्राचीन सभ्यता की विशेषता इन प्रतिबंधों पर एक अनिवार्य प्रतिबन्ध है और कडाई से विनियमन है The modern or western insatiableness arises, really from want of living faith in future state and therefore also in Divinity. आधुनिक या पश्चिम अस्थितापन की उत्पति वास्तव में उस समय उत्पन होती है जब भविष्य में भी रहने की चाहत हो और देव लोक की भी चाहत हो (लोक और परलोक दोनों की लालसा हो /दिन भी चाहता हो और दुनिया भी ) The restraint of ancient or Eastern civilization arises from a belief, प्राचीन या पूर्वी सभ्यता का संयम एक विश्वाश से उत्पन होता है, often in spite of ourselves, in a future state and the existence of a Divine power. भविष्य की चिंता छोड़ कर खुद को परलोक की चिंता में लीन कर लेता है |
(Paragraph-14 )
Some of the immediate and brilliant results of modern civilization are too maddening to resist. आधुनिक आविष्कारों के कुछ तत्काल और शानदार परिणाम लाजवाब कर देने वाला होता है But I have no manner of doubt that the victory of man lies in that resistance. लेकिन मुझे कोई संदेह नहीं है कि आदमी की जीत संघर्ष में है | We are in danger of bartering away the permanent good for a momentary pleasure. हम स्थाई हीत का सौदा छन भर के आनंद के के साथ करने का जोखिम उठा रहे हैं |
(Paragraph-15)
Just as in the West they have made wonderful discoveries in things material, similarly Hindustan has made still more marvelous discoveries in things of religion, of the spirit, of the soul. जिस तरह पश्चिमयों ने अद्भुत वस्तुओं की खोज की है ठीक इसी हिन्दू धर्म ने धर्म, आध्यात्मिक तथा अंतरात्मा के क्षेत्र में बहुत से अद्भुत सिद्धि प्राप्त की है |
(Paragraph-16 )
But we no eye for these great and fine discoveries. पर हमारा ध्यान इतने उत्तम खोजों पे नहीं है We are dazzled by the material progress that Western science has made. पश्चिमी विज्ञान ने जो सांसारिक वस्तु में प्रगति की है उसने हमें चकाचौंध कर दिया है | I am not enamoured of that progress. मैं उन प्रगति से मोहित नहीं हूँ In fact, it almost as though God in His Wisdom has prevented India from progressing aling those lines, वास्तव में, ऐसा लगता है जैसे की भगवान ने अपने ज्ञान से भारत की प्रगति को उन पंक्तियों के साथ खड़ा होने से रोक दिया so that is might fulfil its special mission of resisting the onrush of materialism. ताकि वह भौतिकवाद के बढ़ते कदम का विरोध करने के अपने विशेष मिशन को पूरा कर सके |
(Paragraph-17)
After all, there is something in Hindustan that has kept it alive up till now. आख़िरकार, हिंदुत्व में कुछ ऐसा है जो अभी तक उसे जीवित रखें हुआ है |It has witnessed the fall of Babylonian , Syrian, Persian and Egyption civilization. यह बेबीलोनियन, सीरियन, फारसी और मिस्र की सभ्यताओं के पतन का साक्षी बना |Cast a look around you. Where is Rome and where is Greece? अपने चारों ओर एक नजर डालो | रोम और ग्रीस कहाँ हैं? Can you find today anywhere the Italy of Gibbon, or rather the ancient Rome, for Rome was Italy? क्या आप आज गिब्बोन के इटली या प्राचीन रोम जो इटली में हुआ करता था कही पे भी ढूढ सकते है ?
(Paragraph -18)
Go to Greece. Where is the world famous Attic civilization? ग्रीस जाएं विश्व प्रसिद्ध एटिक सभ्यता कहाँ है ?Then coming to India, let one go through the most ancient records and then look around you and you would be constrained to say, “yes, I see here ancient India still living.” फिर भारत में आ के देखों, प्राचीन अभिलेख उठा के देखों, फिर अपने आस-पास देखों, आप विवश हो जाएंगे कहने को की “हाँ” हम यहाँ प्राचीन भारत को अभी तक जिन्दा देख रहे हैं |
(Paragraph-19)
True, there were gungheaps, too here and there, ये सच है, गोबर का ढेर भी यहाँ वहां पारा मिलेगा but there are rich treasures buried under them. लेकिन उनके अन्दर दफन धनी खजाने हैं | And the reason why it has survived is that the end which Hinduism set before it was not developed along material but spiritual lines. और यह अंत तक बच इसलिए गया की हिंदुत्व ने तरक्की का सिध्दांत भौतिकवाद नही बल्कि आध्यात्मिक चुना था
(Paragraph-20)
Our civilization, one culture , our Swaraj depend not upon multiplying our wants- self –indulgence, but upon restricting wants self- denial. हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमरा स्वराज हमारी इच्छा- भोग वृद्धि पे नही बल्कि इच्छा- भोग को सिमित कंरने पर टीकी हुई है
(Paragraph-21)
European civilization is , no doubt, suited for the Europeans but it will mean ruin for India if we endeavour to copy it. यूरोपीय सभ्यता कोई संदेह नहीं है कि यूरोपीयों के लिए अनुकूल है लेकिन भारत के लिए विनाशकारी होगा, अगर हम इसे नक़ल करने का प्रयास करते हैं|This is not to say that यह कहने की आवश्यकता नही है कि we may not adopt and assimilate whatever may be good and capable of assimilation by us, हम ने नहीं अपनाया और पचाया जितना कुछ सम्लोगों के लिए अच्छा था और पचाने लायक था as it does not also mean that even the Europeans will not have to part with whatever evil might have crept into it. और इसका मतलब ये भी नहीं की जो कुछ बुराई यूरोपियों में पनपनाई ही है उसका जिम्मेदार वो नहीं होगा
(Paragraph-22)
The incessant search for materail comforts and their multiplication is such an evil and I make bold to say that भोग विलास की वस्तु की निरंतर खोज और इसमें लगातार वृध्दि एक ऐसी बुराई है और मुझे बोलने पर विवस कर देती है कि the Europeans themselves will have to remodel their outlook, if they are not to perish under the weight of the comforts to which they are becoming slaves. यूरोपियों को अपने दृष्टिकोण को फिर से तैयार करना होगा, यदि वे आराम के भर के नीचे नाश नही होना चाहते है जिनके वे गुलाम बन रहे हैं | It may be that my reading is wrong, but I know that for India to run after the Golden Fleece is to court ccertain death. हो सकता है मेरी अध्ययन गलत हो, पर मुझे मालूम है भारत के लिए गोल्डन फ्लीस के पीछे भागना घातक हो सकता है Let us engrave on our hearts the motto of the Western philosopher : “ Plain living and high thinking .” आइए हम अपने दिलों पर एक पाश्चिमी दार्शनिक के सिध्दांत के आदर्श वाक्य, ‘ सादा जीवन और उच्च सोच’ अंकित कर ले Today is is certain that the millions can not have high living आज यह निश्चित है कि लाखों लोग का उच्च जीवन नहीं मिल सकता है and we have few, who profess to do the thinking for the messes, run the risk, in a vain search after high living of missing, high thinking . और हम से जो कोई जनता के लिए सोचने का जोखिम उठाते हैं, उच्च रहन सहन में रहने के बाद उच्च विचार को खो देते हैं |
(Paragraph-23)
Civilization, in the real sense of the term, consists not in the multiplication, but in the deliberate nd voluntary restriction of wants. सभ्यता, असल में बहुलीकरण में नहीं बल्कि स्वैच्छिता से जरूरतों पे लगाम लगाने का नाम है This alone increases and promotes contentment, real happiness and capacity for service.यह अकेले संतोष, वास्तविक सुख और सेवा की क्षमता को बढ़ावा देता है |
(Paragraph-24)
A certain degree of physical harmony and comfort is necessary but above the certain level it becomes a hindrance instead of help.कुछ हद तक शारीरिक सद्भाव और आराम आवश्यक है, पर उसके बाद यह मदद के बजाय एक बाधा बन जाती है | Therefore the idea of creating an unlimited number of wants and satisfying them seems to be a delusion and a snare.इसलिए अनंत इच्छा को पालना और उसकी पूर्ति करना एक भ्रम और जाल जैसा लगता है The satisfgaction of one’ physical needs, even the intellectual needs of one’s narrow self, must meet at a certain point a dead stop, व्यक्ति के स्वयं की संकुचित शारीरिक तथा मानसिक जरूरतों की पूर्ति एक निश्चित बिंदु पे जा मिलती है वो है मृत्यु before it degenerates into physical and intellectual voluptuousness. इससे पहले की यह जीवन भौतिक और बौध्दिक विलासिता में गल जाए A man must arrange his physical and cultural circumstances एक आदमी को अपने शारीरिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों की व्यवस्था कर लेनी चाहिए so that they do not hider him in his service of humanity on which all his energies should be concentrated. ताकि मानवता की सेवा में बाधा न दें जिस पर उसकी सारी उर्जा केन्द्रित होना चाहिए |
Summary
This prose name “Indian Civilization and Culture” is written by our father of nation, Mohandas Karamchand Gandhi. यह गद्द “इन्डियन सिविलाइज़ेशन एंड कल्चर” हमारे रास्ष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा लिखी गई हैं, This prose is a comparative analysis of Civilization and culture between India and the West. यह भारत तथा पश्चिम के सभ्यता तथा संस्कृतिक पर आधारित तुलनात्मक लेख है In this essay Gandhi ji sketch out the distinguishing characteristic and unique feature of Indian Civilization and culture. जिसमें गांधीजी ने भारतीय सभ्यता तथा संस्कृतिक के विशिष्ट लक्षण तथा मूल अन्दर को रेखांकित किया हैं This article also shows the dedication and devotion of Gandhiji toward India. यह लेख गांधीजी का भारत के प्रति समर्पण तथा उपवासना को भी जाहिर करता हैं | This article is one of the best literary work by Mahatma Gandhi. यह लेख महात्मा गांधी द्वारा सर्वश्रेष्ठ साहितिक रचना में से एक है| In this article Gandhiji has emphasized that the India civilization and culture can not competed by any other civilization in the world इस लेख में गांधी जी ने जोर दिया है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मुकाबला दुनिया की दूसरी सभ्यता और संस्कृति नहीं कर सकती है | because its Foundation is based on morality and restriction of Human wants.क्योकि इसका आधार नैतिकता और आवश्यकता पे लगाम लगाने पर आधारित है | Gandhiji also point out that, its criticizer put the charge against it that Indian Civilization is a civilization of ignorant and uncivilized people because they do not accept any changes गांधी जी ने यह भी इशारा किया है कि इसके (भारत के ) आलोचक यह इल्जाम लगाते हैं कि भारतीय सभ्यता जाहिल तथा असभ्य लोगों की सभ्यता है क्योकि ये कोई परिवर्तन को नहीं अपनाते हैं but Gandhiji thinks it difficultly, according to him the main reason behind that the Indian Civilization is flourishing is its immovability and it is her glory. लेकिन गांधी जी इसे कुछ अलग तरह से देखते हैं (सोचते हैं ) उनके हिसाब से भारतीय सभ्यता जो फल फूल रही है उसका कारण उसकी अटलता है और यह इसकी महिमा है | If we change the foundation of our civilization we will lose our moral fibre and our condition would become pitiable. अगर हम अपनी सभ्यता के आधार को बदलेंगे तो अपना चरित्र खो देंगे और हमारी दशा दयनीय हो जाएगी It is useless to compare the merit of Indian civilization with Western Civilization भारतीय सभ्यता की तुलना पश्चिम सभ्यता से करना बेकार होगा because both suited for its own respective spheres. क्योंकि दोनों अपने अपने परिवेश (क्षेत्र) के लिए अच्छे हैं | Western Civilization is based on the indefinite multiplicity of human wants पश्चिम सभ्यता अनंत मानवीय इच्छओं की पूर्ति पर टिकी है | however Indian Civilization based on restriction of those wants. जबकि भारतीय सभ्यता इन इच्छाओं पर लगाम लगाने पर है |
OBJECTIVE QUESTIONS
Indian Civilization and Culture is written by ……
- Monohar Malgaonkar
- Kamla Das
- Gandhiji
- Zakir Hussain
Mahatma Gandhi is also popularly known as …………
- Pitaji
- Uncle
- Chacha
- Bapu or father of nation
Mahatma Gandhi born in …….. and died in ……………
- 1865-1947
- 1860-1948
- 1870-1947
- 1869-1948
I believed that the civilization India has …… is not to be beaten in the world.
- Evolved
- Made
- Developed
- Evolve
5. Gandhiji talks about…… of Indian civilization.
- Bold foundation
- Ancient foundation
- Immovable foundation
- Sound foundation
6. Mahatma Gandhi work reveal that he was the………
- Great master of chaste
- Great person
- Great leader of Chaste
- Great man
7. Mahatma Gandhi used……. And …….as a chief weapons against British.
- Gun and other weapon
- Danda and Khadi
- Swaraj and movement
- Truth and non violence
8. The autobiography of Gandhiji is ……….
- My experiment with truth
- The truth and non- violence
- Swaraj
- My encounter with English
9. Nothing can equal the ……. Sown by our ancestors.
- Believe
- Seed
- Civilization
- Culture
10.Our ancestors, therefore, set a limit to our …………
- Indulgence
- Fate
- Freedom
- None of these
11. We notice that the mind is a restless …………..
- Creature
- None of these
- Bird
- Animal
12. Performance of duty and observance of morality are ……..
- Convertible
- Stolid
- Deliberate
- None of these
13. The Gujarati equivalent for civilization means……….
- Good person
- Moral
- Good conduct
- Nice citizen
14. Civilization is that mode of conduct which points out to man
- Moral
- Path of duty
- Good man
- Good culture
15. Many thrust their advice upon…….and she remains steady.
- Westerner
- Us
- India
- Gandhiji
16. But India is still, somehow or other, sound at the………..
- Civilization
- In old culture
- Foundation
- Development
17. The people of Europe learn their lessons from the writings of the men of …..
- Egypt and Syria
- Greece or Rome
- Gandhiji
- India
- In the midst of all this India remains …….and that is her glory.
a> Immovable b> Adulterated
c> Hindrance d> Progressed
- It is a charge against India that her people are so………..
a> Ignorant b> Uncivilized
c> and stolid d> All of these
- We are….by the material progress that Western science made.
a> Dazzle b> Dazzling
c> Dazzled d> None of these
- We are in danger of …….away the permanent good for a momentary pleasure.
a> Thinking b> Maddening
c> Bartering d> Living
- We have …..many thing from western literature.
a> Borrowed b> Borrow
c> Borrowing d> None of these
- Modern Civilization is worship of the…………………
a> Money b> Material and brute in us
c> God d> Thing
- Our ancestors set a limit to our indulgences because………
a> It is bad b> We believe in spiritualism
c> More it gets the more it wants d> I don’t know
- Our forefathers did not invent machinery because…………
a> We would become slaves of it b> It is not good
c> Its pollute the environment d> None of these
- India’s glory is that it is …………….
a> Very ancient b> Immovable
c> Indigenous d> None of these
- We have had no system of …………competition
a> Life- corroding b> Dissuading
c> Materialism d> None of these
- Our ancestors ……… us from luxuries and pleasure.
a> Explain b> Chances
c> Dissuaded d> None of these
- We dare not change what ……..
a> Our culture b> Indigenous education
c> Indian civilization and culture d> None of these
- Our ancestors saw that happiness was largely a ……. Condition
a> Happy related b> Money
c> Mental d> None of these
- Plain living and high thinking is the motto of a …………
a> Our ancestor b> Gandhiji
c> Western Philosopher d> None of these
- An ideal of creating an unlimited number of wants and satisfying them seem to be……
a> Snare b> Delusion
c> Delusion and snare d. None of these
- A certain degree of physical harmony and comfort is ……..
a> Good b> Bad
c> Necessary d> Not necessary
Subjective Questions
Q.1 What do you know about Gandhi ji?
Ans. Gandhi ji was a spiritual leader as well as a politician of India. महात्मा गांधी एक आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ भारतीय राजनेता भी थे | He is known as Bapu or the Father of Nation. वह बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाते हैं | He was born on 02 Oct.-1869 and died in 30 Jan.-1948. उनका जन्म 02 अक्टूबर 1869 को तथा मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुआ था | He used truth and non- violence as a weapons to set India free from British Rule. उन्होंने भारत को अंग्रेजी राज्य से आजाद करने में सत्य तथा अहिंसा को हत्यार के रूप में प्रयोग किया |
Q.2 What did Gandhi ji do for farmers in Bihar?
Ans. Gandhi ji did Satyagraha movement for the farmers in Bihar. गांधी जी ने बिहार के किसान के लिए सत्याग्रह आन्दोलन किया | It was the first movement against British rule led by Mahatma Gandhi in India. ये गांधी जी के नेतृव में अंग्रेज के खिलाफ भारत में पहला आन्दोलन था |
Q.3 What do you understand by civilization and culture?
Ans. Civilization is that mode of conduct which points out (to show) a man to the path and performance of duty. सभ्यता वह आचरण है जो इंसान को कर्तव्य का प्रदर्शन और पथ बताती है | Whereas Culture is an ideas, customs and social behavior of a people or society.जबकि संस्कृति किसी समाज या उसमे रहने वाले लोगों का एक विचार, रीती- रिवाज, या सामाजिक व्यवहार है |
Q.4 What do our holy scriptures tell about universal human values?
Ans. Our holy scriptures teach us to work for humanitarian cause and even treat our neighbour in the best possible manners and not to cause any difficulty to them. हमारे पवित्र ग्रन्थ(शास्त्र) हमें मानवता के लिए कार्य करने की सीख देती है और हमारे पड़ोसी के साथ यथासंभव अच्छा व्यवहार करने और उन्हें कोई कठिनाई न हो के लिए प्रेरित करते हैं |
Q.5 How is Indian civilization different from European civilization?
Ans. The main difference between Indian Civilization and European civilization is that the Indian civilization emphasize in limiting the indulgence in luxuries where European civilization believe in promoting it. भारतीय सभ्यता तथा यूरोपीय सभ्यता में मुख्य अंतर यह है कि भारतीय सभ्यता भोग-विलाश में कमी पर जोर देती है जबकि यूरोपीय सभ्यता इसके प्रचार- प्रसार में विश्वाश रखती है |
Q.6 Why does Gandhi ji say that “mind is a restless bird” what makes mind restless?
Ans. Our mind is a restless bird because the more it gets the more it wants, and still remains unsatisfied. Unlimited number of our inner wants make our mind restless birds.हमारा मन एक बेचैन पक्षी है क्योकि जितना अधिक मिलता है उतना अधिक चाहता है और तब भी असंतुष्ट रहता है | हमारे अंतरात्मा की अनंत इच्छाए हमारे मन को एक बेचैन पक्षी बना देती है |
Q.7 Why did our ancestors dissuade us from luxuries and pleasures? Did they do the right thing?
Ans. Our ancestors dissuaded us from luxuries and pleasures because its lead us to unlimited number of wants which never could be achieve. “yes” they did the right things. हमारे पूर्वजों ने हमें विलासिता और आनंद से रोका क्योकि ये अनंत इच्छाओं की तरफ ले जाता है जो कभी खत्म नहीं होती| “हाँ” उन्होंने अच्छा किया |
Q.8 Why, according to Gandhi, have we struck with the same kind of plough as exited thousand of years ago? Should we do the same thing even today?
Ans. No, we are not doing the same thing again and again even today. Here “we struck with the same kind of plough as exited thousands of years ago “means by Gandhi ji is that our civilization is immovable and still sound at the foundation. नहीं, हम एक ही काम को आज तब बार- बार नहीं कर रहे हैं यहाँ गांधीजी का मतलब “हजारों साल से हम उसी तरह की हल के साथ काम कर चुके हैं कि हमारी सभ्यता अचल है और अभी भी अपने आधार पे टिका हुआ है |
Q.9 How did our ancestors view large cities? Why were they satisfied with small villages?
Ans. Our ancestors view for large city was that in large city there is gangs of thieves, robbers, prostitution and vice flourishing in them and that poor men would be robbed by rich men. But in villages there is nothing like that. That is why our ancestors were satisfied with small villages. हमारे पूर्वजों का बड़े शहरों के प्रति अवधारणा थी की वहां लुटेरों का गिरोह है,वेश्यावृति और बुराइयाँ इन में फले- फूलेगी और गरीब लोगों को अमीर द्वारा लुटा जाएगा | लेकिन गाँव में ऐसा कुछ नहीं है, इसलिए हमारे पूर्वज छोटे से गाँव से खुश थे |
Q.10 How did our ancestors enjoy true “Home Rule”
Ans. Everyone’s work in society was divided. They all lived independently and followed their occupation. Because of these kind distributions of work and responsibilities bring peace and harmony in the society. समाज में हर किसी का काम बटा हुआ था | वे सभी आत्म निर्भर थे और अपना व्यवसाय किया करते थे | काम और जिम्मेदारी के इन प्रकार के वितरण के कारण समाज में शांति और सद्भावना थी |
Q.11 What, according to the author is modern civilization?
Ans. According to the author modern civilization is an indefinite multiplicity of human wants and worship of materialism and brute in us.लेखक के अनुसार आधुनिक सभ्यता अनंत इच्छाओं की पूर्ति तथा भौतिकवाद और हमारे अन्दर भावशून्यता की पूजा है |
Q.12 What did the author convey to the countrymen about dealing with modern civilization?
Ans. The author convey to the countrymen about dealing with modern civilization is to cling to (stick to) the old Indian civilization as a child clings to the mother’s breast. लेखक आधुनिक सभ्यता से निपटने के बारे में देशवासियों को बताता है कि वह पुरानी भारतीय सभ्यता से इस तरह चिपक जाए जैसे एक बच्चा माँ की छाती से |
Q.13 What is the distinguished characteristic of modern civilization?
Ans. The distinguished characteristic of modern civilization is that it is based on materialism and indefinite multiplicity of human wants. आधुनिक सभ्यता की विशिष्ट विशेषता यह है भौतिकवाद और मानव इच्छाओं की अनिश्चित बहुगुणता पर आधारित है |
Q.14 The author perceived danger from modern invention. How?
Ans. The author perceived danger from modern invention because its some of inventions are too maddening to resist only for time being but its impact is bartering away the permanent good for a momentary. लेखक आधुनिक आविष्कारों से खतरे का अनुभव कर रह रहे हैं क्योकिं इसके कुछ आविष्कार कुछ समय के लिए लाजबाब कर देनेवाले होते हैं पर इसका प्रभाव छान भर की आनंद दे कर स्थाई हीत के लिए छीन लेता है |
Q.15 What does the author prefer to materialism?
Ans. The author prefers wants- self- denial to materialism. लेखक भौतिकवाद के बदले इच्छा भोग की सीमित करना पसंद करता हैं |
Q.16 What does our civilization depend upon?
Ans. Our civilization depends upon the service of humanity and restriction of materialism. हमारी सभ्यता मानवता की सेवा और भौतिकवाद के प्रतिबंद्ध पर निर्भर करती है |
Q.17 What is civilization in real sense of term?
Ans. Civilization is that mode of conduct which points out(to show) a man to the path and performance of duty.सभ्यता वह आचरण है जो इंसान को कर्तव्य का प्रदर्शन और पथ बताती है |
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